आनंद शर्मा की बगावत का नज़ारा, कांग्रेस पर फिर उठाये सवाल
कांग्रेस के नाराज़ नेताओं की बगावत अब खुलकर बाहर आने लगी है। आनंद शर्मा ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी को सवालों के कटघरे में खड़ा किया है

आने वाले कुछ समय में पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं जिसे देखते हुए हर पार्टी अपनी चुनावी ज़मीन को मज़बूत करने में लगी है। लेकिन कांग्रेस पार्टी एकमात्र ऐसी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आ रही है जिसकी आतंरिक ज़मीन भी कमज़ोर हो रही है और बाहरी चुनावी ज़मीन में कांग्रेस के अपने नेता दरार डाल रहे हैं। कांग्रेस पार्टी में 23 नाराज़ नेताओं ने पार्टी आलाकमान का जीना मुहाल कर दिया है। इन्हीं नाराज़ नेताओं में से एक आनंद शर्मा ने अपनी ही पार्टी को साम्प्रदायिकता के मुद्दे पर घेरा है। आनंद शर्मा ने हालही में बंगाल चुनाव में कांग्रेस और आईएसएफ के गठबंधन पर सवाल उठाये हैं।
सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस चयनात्मक नहीं हो सकती है। हमें हर सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन शर्मनाक है, उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।
— Anand Sharma (@AnandSharmaINC) March 1, 2021
आनंद शर्मा ने कांग्रेस को घेरते हुए ट्वीट किया “यह पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवादी और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। आईएसएफ जैसी कट्टरपंथी पार्टी के साथ गठबंधन के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए थी और उसे कांग्रेस कार्यसमिति में चर्चा का विषय बनाकर फैसला लेना चाहिए था।
Know ur facts @AnandSharmaINC ji
1. CPI(M) led Left Front is leading the secular alliance in West Bengal of which Congress is an integral part. We are determined to defeat BJP's communal & divisive politics and an autocratic regime.
1/4— Adhir Chowdhury (@adhirrcinc) March 1, 2021
आनंद शर्मा के इस निशाने पर पलटवार करते हुए पश्चिम बंगाल कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने स्वयं से निर्णय नहीं किया है। सीडब्ल्यूसी पार्टी का निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय है जो पार्टी के महत्वपूर्ण फैसले लेता है।
दरअसल आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस, सीपीएम और आईएसएफ ने मिलकर गठबंधन तैयार किया है। इसी में आईएसएफ चाहती है की सीट शेयरिंग में कांग्रेस से भी उसे सीटें दी जाए जबकि कांग्रेस को अपनी एक भी सीट देना गवारा नहीं है। कांग्रेस का कहना है की हमारा गठबंधन सीपीएम के साथ है और सीपीएम का गठबंधन आईएसएफ के साथ, इसलिए सीपीएम की यह ज़िम्मेदारी बनती है की वो आईएसएफ को सीटें दें। हालांकि सीपीएम, आईएसएफ को 30 सीटें देने के लिए तैयार है लेकिन फिर भी आईएसएफ के इस अड़ियल रवैये की वजह से कांग्रेस के इन नाराज़ नेताओं की नाराज़गी एक बार फिर सामने आयी है।
गौरतलब है की कांग्रेस के इन 23 नाराज़ नेताओं को जी-23 नेताओं के नाम से जाना जाता है जिन्होंने पार्टी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिआ गांधी को चिठ्ठी लिखी थी। इन नेताओं का लक्ष्य पार्टी की कमज़ोर हालत को सुधारना है।