किसान बिल से होगा फायदा या बढ़ेगा किसानों का संकट, जानिए सबकुछ
लोकसभा में किसानों के हितों के लिए दो विधेयक पारित हुए हैं। जिस पर पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि लोकसभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयकों का पारित होना देश के किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। ये विधेयक सही मायने में किसानों को बिचौलियों और तमाम अवरोधों से मुक्त करेंगे। #JaiKisan
वहीं विपक्ष इसका विरोध करता दिखा। यहां तक कि बीजेपी की पुरानी सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल की नेता और और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री साथ ही भटिंडा से सासंद हरसिमरत कौर बादल ने तो विधेयक परित होने से पहले ही ट्वीट कर इस्तीफा तक दे दिया। उन्होनें ट्वीट कर कहा कि — ‘मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों की बेटी और बहन के तौर पर उनके साथ खड़े होने पर गर्व है।’ वहीं शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने तो ये तक कह दिया कि उनकी पार्टी एनडीए में बने रहने पर बाद में फैसला करेगी।
तो जो विधेयक पारित हुए है वो क्या है, उनके बारे में आपको बतातें है।
- कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020
- कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
लोकसभा में पारित दो कृषि विधेयको की मुख्य बातें
- किसान अब एपीएमसी मंडियों के बाहर किसी को भी अपनी उपज बेच सकता है, जिस पर कोई शुल्क नहीं लगेगा
- इन बिलों में खेती करने के लिए और उत्पादन को खरीदने के लिए दो या तीन पक्षों के बीच अनुबंध यानि कॉन्ट्रेक्ट को मान्यता दी गई है
- अनुबंध एक फसल या एक साल से ले कर अधिकतम पांच साल के लिए किया जा सकेगा।
- यदि अनुबंध की अवधि पांच साल से अधिक होगी तो आपसी सहमति से निर्धारित की जा सकेगी।
- किसान खेती करने के लिए लिखित अनुबंध कर सकता है जिसमें नियम तथा शर्ते उत्पाद के प्रदाय का समय, गुणवत्ता के मापदण्ड, ग्रेडिंग, मूल्य और इसी तरह की व्यवस्था को लिखा जाएगा।
- इस अनुबंध के तहत फसल की कीमत निर्धारित कर अनुबंध में लिखना आनिवार्य होगा। यदि कीमत बाद में निर्धारित की जावेगी तो न्यूनतम कीमत देना अनिवार्य होगा।
- अनुबंध में लिखी समय सीमा में उत्पाद लेना अनिवार्य होगा।
- क्रेता माल की गुणवत्ता जानने के लिए समय-समय पर फसल का निरीक्षण करेगा।
- यदि निरीक्षण नही करता है तो यह माना जाएगा कि वह गुणवत्ता स्वीकार कर रहा है और माल लेने से पीछे नही हटेगा और तत्काल भुगतान करेगा।
- अगर बीज क्रय यानि बीज खरीदने का अनुबंध किया गया है तो बीज लेते समय दो तिहाई कीमत का भुगतान करना होगा और फिर बची राशि का भुगतान बीज प्रमाणीकरण के बाद किया जाएगा।
- इस तरह के अनुबंधों के तहत उत्पादित फसल पर कोई भी राज्य के कानून या प्रतिबंध लागू नही होंगे तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत निर्धारित सीमा बंधन लागू नहीं होंगे।
- खरीददार द्वारा उपयुक्त कृषि मशीनरी और उपकरण की व्यवस्था की जाएगी।
- खरीददार किसान को तकनीकी मार्गदर्शन और सलाह भी उपलब्ध कराएगा।
- फसल उत्पादन के दौरान फसल पर किसान का मालिकाना हक बना रहेगा।
- फसल का बीमा कराया जाएगा और जरूरत पड़ने पर किसान वित्तीय संस्थानों से ऋण भी ले सकेंगे।
- कोई विवाद होने पर निपटाने के लिए बोर्ड गठित किया जाएगा, जो 30 दिनों के भीतर समाधान करेगा।
आपको बता दें कि लोकसभा में ये दो विधेयक पारित हो चपके है अब इनका राज्यसभा पंजाब, हरियाणा ,तेलंगाना, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों के किसान इन बिधेयको का विरोध कर रहे हैं। क्योंकि किसानों को डर है कि उन्हे फसल का न्युनतम समर्थन मूल्य नही सकेगा या सरकार किसानों से ये न्यूनतम मूल्य वापस लेना चाहती है। इसके अलावा विधयेक के अनुसार अब किसानों और ग्राहकों के बीच बिचौलिए नही आ सकेगे इससे हजारों बिचौलियों को भी नुकसान होगा। वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि ये विधेयक सही मायने में किसानों को बिचौलियों और तमाम अवरोधों से मुक्त करेंगे। इससे किसानों को फायदा ही पहुंचने वाला है।
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