क्या हाथरस केस में आरोपियों, पुलिस और डीएम की थी मिलीभगत?
नमस्कार आप देख रहे है स्पार्क न्यूज और मैं हूं आपके साथ सरिता तिवारी। आज हम बड़ी खबर में बात करेंगे हाथरस मामले में आए नए मोड़ के बारे तो इस हाथरस केस पर चर्चा करें उससे पहले एक नजर आज की हेडलाइन्स पर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का निधन।. कुछ हफ्ते पहले ही कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके वोरा। पीएम नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी ने श्रद्धांजलि दे देते हुए कहा कभी न भूलने वाले नेता। भारत में बनी कोरोना वैक्सीन जनवरी में किसी भी हफ्ते में भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध हो जाएगी ।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दी जानकारी, साथ ही कहा कि सरकार की पूरी कोशिश है कि भारत के हर नागरिक तक कोरोना वैक्सीन पहुंचे। NDTV में छपी खबर के मुताबिक यूपी के श्रम राज्य मंत्री सुनील भराला ने NDTV से कहा कि ‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नहीं था यूपी पुलिस पर भरोसा।इसीलिए लिया था हाथरस केस की जांच सीबीआई से कराने का फैसला।
आइए अब बात करते है हाथरस मामले को लेकर जो इस केस में लेटेस्ट अपडेट है वो ये है कि सीबीआई ने इन चारो आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है। जिसके बाद चारों की नींद उड़ी हुई है।वहीं पीड़िता के परिवार को न्याय की उम्मीद जगी है। मृतका के पिता का कहना है कि सीबीआइ ने दूध का दूध पानी का पानी कर दिया है। यहां का माहौल ठीक नहीं लग रहा। यहां पर समाज भी थोड़ा अलग है। हम चाहते हैं कि केस दिल्ली ट्रांसफर हो जाए।हम भी दिल्ली जाना चाहते हैं।दरअसल घटना हुई थी, 14 सितंबर को और 19 सिंतबर को पुलिस ने एक आरोपी संदीप के खिलाफ जानलेवा हमले और एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा कायम किया गया था। फिर 22 सितंबर को जब जेएन मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान विवेचना अधिकारी को जो पीड़िता ने बयान दिए। इसके आधार पर इस मामले में सामूहिक दुष्कर्म की धारा जुड़ी और फिर संदीप के साथ तीन और आरोपियों रवि, रामू और लवकुश के नाम भी बढ़ा दिए गए । फिर इसके बाद इलाज के दौरान ही पीड़िता की मौत हो गई थी। इसके बाद जब बिटिया की मौत हो गई तो पुलिस ने इस मुकदमे में धारा 302 भी बढ़ा दी ।
मौत से पहले बिटिया ने कहा था कि चारों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म कर जान से मारने की कोशिश की है । जिसके आधार पर सीबीआई ने गहन जांच की और एक नतीजे पर पहुंची।.खबरों मिल रही है कि चार्जशीट में कहा गया है कि पीड़िता के परिवार घटना के बाद सबसे पहले चंदपा पुलिस स्टेशन में संपर्क किया था, जहां के अधिकारियों ने लड़की का ना को बयान लिया था और ना ही उसे मेडिकल टेस्ट के लिए भेजा था।
वहीं पीड़िता की भाभी ने कहना है कि डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। उनकी वजह से हम आखिरी समय में अपने परिवार की मृत सदस्या का चेहरा नहीं देख पाए ।जैसा आप जानते है कि यूपी पुलिस ने पीड़िता का रात के अंधेरे जला दिया था ये कहकर कि गांव में सुबह दाह संस्करा करने से माहौल बिग़ड सकता है ..क्योंकि उस वक्त घटना से जनता भी आक्रोश में थी। वहीं विपक्ष भी हाथरस के चक्कर काट रहा था। वहीं यूपी के यीएम को तचक यूपली पुलिस पर भरोसा नहीं हैं।